Friday 2 September 2011

आज याद आ गया, वो अफसाना ,
वो बीते हुए दिनों का, प्यार भरा फसाना।
      स्कूल के दिनों का वो गुजरा जमाना,
      गुनगुनाते फिरते थे जो ,वो प्यारा तराना ।
सावन के महीने का वो, मौसम सुहाना ,
एक छतरी लेकर ,वो स्कूल को जाना।
   शुरू होता है इसी वक्त वो, टूयूशन का दौर ,
  पूछो ना यारो ,वो वक्त था कुछ और।
स्कूल में जाते ही ,सीटे हथियाना ,
प्रेयर में जाकर ,हल्ला करवाना।
   क्लास मे आ करके, शोर मचाना
   टीचर के आते ही ,सीधे बन जाना।
फस्ट क्लास से ही, लंच बॉक्स निकालना,
लंच टाइम आने के पहले खा जाना ।
 
       टूयूशन मे जी भर के मौज मनाना,
       टीचर के आने पर उनको सताना ।
घंटेभर पढकर फिर बाते बताना ,
लड़को को पार्टी के लिए ,बहाने बताना,
         उनसे ही टूयूशन में समोसे मंगाना ,
         उनकी कॉपी मे कार्टूनस बनाना,,
स्कूल में फै्रंडृस से गप्पे लडा़ना,
लासट प्रियड़ आते ही ,शुरू करना गाना बजाना।
                                 किसी को भी किसी का नाम लेकर चिढाना ,
                                   वो रूढ़ जाए फिर उसको मनाना।
यही तो होता है स्कूल टाइम का फन ,
स्कूल लाइफ ही तो होती है,यारो टन टनाटन टन।

1 comment:

  1. well said ,,sach mein school life is really tan tanatan tan......

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