Wednesday 12 October 2011


आज की रात बड़ी रूसवाई की है,
दो इश्के बफा की जुदाई की है।
 ये रात इस जॅहा से नजर चुरा रही है ,
दो इश्क के बांशिदोे पर कहर ढा रही है,
हर बीते लम्हे की यादे जहन में बस गई है।
मानो उन यादों से दिल की दुनिया झुलस रही हो।
कैसे भूल पाऐंगें वो लम्हे जो गुजारे साथ में ,
वादे किये जो उनसे ,हाथो को रख हाथ में ।
अब तो हर बात ,हर सांस में उनकी खुश्बू समाई है,
हर गुजरते लम्हे ने उसी की आश लगाई है।
दर्दे हिजरा लिये दिल यही पूछ रहा है,
ऐ खुदा बता ये तेरी कैसी खुदाई है।
इस दिल ने भी ना जाने,कैसी हसरत की है,
कैसे भूलेंगें उन्हे ,जिसकी इस दिल ने इबादत की है।
 बनकर बुत उनकी यादों को दफन कर लूंगी ,
सामा(सामान)समझ खुद को ,अजनबी के समन कर लूंगी।
ऐ खुदा मुझ पर तू इतनी रहम कर दे,
वो भूल जाए इस नाचीज को,इतना करम कर दें।
ये रात जिंदगी का,ऐसा फसाना बनेगी,
जिसे चाह कर भी जुबा दोहरा ना सकेगी ।
ना करना इस जिंदगी मे रूबरू उनसे ,खुदा,
ये नजर  उस नजर का तारूख ना कर सकेगी।

आज माँ को मैने जाना है जाना है






 
माँ तेरी कमी आज मुझे रूला रही है ,
दिल की गहराई से तुझे बुला रही है।
आज याद आ रहा है तेरा मुझे सहलाना
वो मेरी उदासी में मुझको बहलाना।
                                     हर एक पल मुझे ,तेरी याद दिला रहा है,
                                    और तेरे क्या है जीना ,मुझको अहसास करा रहा है।
                                    रोज शाम को मैस की रोटी ,जब थाली में आती है ,
                                     तब तेरे हाथो की बाटी,तेरी याद दिलाती है ।
घर पर तो खाना खाने में ,मै नखरे खूब बताती थी
और थोड़ा भी ठंड़ा खाना हो ,तो लाख बहाने गाती थी ।
तेरी छुई मुई सी बेटी ,अब पत्थर बन गई है मॉ,
और घर में कुछ ना करने वाली,अब सब कुछ कर रही है मॉ।
                                      घर में जब तू संग रहती थी ,तुझसे हर काम को कहती थी,
लड़ती थी झगड़ती थी और मन मर्जी से सब करती थी ।
जब परिक्षाऐं मेरी आती थी ,मै पढ़ते पढ़ते सो जाती थी ,
 

और रात को फिर हौले से तुम ,मेरी पुस्तक बंद कर जाती थी ।
अब भी पढ़ते पढते मै माँॅ
पुस्तक खोल के सोती हू,
जब नींद खुली मेरी तो फिर मैं, खुद ही पुस्तक बंद कर लेती हूॅ।              
जब तक तेरे साथ थी मै माँ ,तुझको जान पाई थी,
और तू कितनी प्यारी है माँ ,इसको पहचान ना पाई थी,
तुझसे दूर रहकर के मॉ ,तेरे साथ को जाना है,
और तेरे साये का सुख क्या है? अब मैने पहचाना है।