Thursday 8 September 2011

वक्त

वक्त,सुनकर ही दिल थम सा जाता है,   
ना जाने अगला लम्हा कहॉ को जाता है।
                      हर कोई इस वक्त के पीछे भागता है,
वक्त पे सोता और वक्त पे जागता है।
हर कदम कदम में इस वक्त की ऐतियात है,
क्योंकि कहते है किस्मत बदलना ,वक्त वक्त की बात है।
क्या कभी ये वक्त किसी के आगे झुका है,
और ,कम्बख्त वक्त कहॉ किसी के लिए रूका है।
जो वक्त रहते, इस वक्त का हमदम हो गया ,
समझो कामयाब वो, हरकदम हो गया।
                       और जिसने  भी इस वक्त की कद्र ना किया है ,
                        इस वक्त ने भी उसको बेकद्र किया है।
किसी का साथ मिलना ,और बिछड़ना भी वक्त की बात है ,
 क्योंकि वक्त ही बनाता, हमारे सारे हालात है।
                       इंसा बदले,हालात बदले,जमाना बदल गया,
                       वक्त तो वक्त है ,हर मोड़ पे एक रफ्तार से चलता है।
इस वक्त की ना कोई महजब , ना कोई जात है,
इसका ना कोई अरमा ,ना कोई जज्बात है ।
                       वक्त रहते जिसने, इस वक्त को सही जाना है,
                       वक्त ने भी वक्त पर ,दिया उसे हर खजाना है।
इस
वक्त को ना किसी ने देखा ना कोई खोज सका है,
इस वक्त को इंसा तो क्या, खुदा भी ना रोक सका हैै।
                      जिस वक्त जो चाहा वो मिल जाए, वो वक्त की ही बात है,
                             वक्त के आगे तो ,बेबस सारी कायनात है।
वक्त के पहले ,इंसा कुछ ना पाता है ,
क्योंकि इस वक्त को तो ,खुदा खुद ही बनाता है।



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