Tuesday 20 September 2011

जिंदगी से आज मेरी,मुलाकात हो गई ,



जिंदगी से आज मेरी,मुलाकात हो गई ,
कुछ देर बाते राहो में ,उसके साथ हो गई।
कुछ अटपटी, तो कुछ सीधी सी बात हुई ,
कुछ हैरानी, तो कुछ मुस्कुराहटे लाती हुई ।
कभी ये पहेली ,कभी सुलझी सी चकोर लगती है,
कभी जैसे पतंग में, उलझी हुई ड़ोर लगती है। 

कभी धूप कभी छाव ,हर रंग अपने दिखा दिये 
कभी पल में खुशिया तो कभी,दुनिया के सारे रंग दिखा दिये ।        
किसी से कुछ ना चाहो, इसी में सबसें बडी खुशी है ,
दूसरो को हसीं देना ही ,यही जिंदगी है
हर पल को अनमोल बनाने का ,फलसफा सिखा गई ,

एक छोटी सी मुलाकात में जीने का सलिका बता गई।
 


1 comment:

  1. किसी से कुछ ना चाहो, इसी में सबसें बडी खुशी है ,
    दूसरो को हसीं देना ही ,यही जिंदगी है।
    बहुत बढिया...

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