Monday 22 August 2011

मॉ का ऑचल

मॉ का ऑचल
दुनिया की हर चीज से निराला,
सबसे ज्यादा सुकून देने वाला।
चाहे खुशी हो या ऑखे नम,
मॉ के ऑचल का
,साया मिले हर दम।
बिना किसी स्वार्थ के
, उसने हमें पाला ।
भला मॉ के आंचल से ,कुछ है निराला ।
      गर्मियों के दिन हो या
, सर्दियों की रातें।
     सोयेंगी वो भी ना जब तक, बंद ना हो मेरी आंखे।
 मेरी हर मुश्किल पल में हल कर देती है। 

    मेरे चेहरे की परेशानी,झट से वो पढ़ लेती है।
हमें ड़ाट कर खुद भी
, ना चैन पाती है
हमारें साथ साथ खुद भी
,रोने लग जाती है।
तुमको कुछ ना आता
, घर पर मुझसे वो कहती है
 पर औरो के आगे मेरी वो, खूब बड़ाई कहती हैं।
       मॉ की सूनी आंखों मे
, कभी ना आंसू ना लाना।
       उसके ऑचल से हाथ
,कभी ना छुडाना।
       ऐसी कौन सी चीज है,जो दोबारा नही मिलती।
       सब कुछ मिल जाता है
, पर मॉ नही मिलती।

5 comments:

  1. संवेदना से भरी हुई कविता...

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  2. ma k dil jaisa duniya me koi dil nahi ...........
    bahut khoob

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  3. very nice poem

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  4. Excellence poem, but I want the author name plz tell me

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