Thursday 18 August 2011

दिल कहता है


 काश ये जिंदगी इतनी आसान होती
कि लडकी भी सभी के लिए समान होती
होती उसे भी आजादी खुल के जी पाने की
और होती उसे भी इजाजत स्कूल जाने की
गर ना कहते बाबा बात उसके ब्याह रचाने की ।
मैं उड सकती खुले आसमान में
रह सकती अपने ख्वाबों के जहान में ।
मैं भी कर सकती थी बाबा के सपनोे को पूरा
भैया की तरह मै भी बाबा की शान होती
काश ये जिंदगी इतनी आसान होती
आज भेज दिया बाबा ने मुझे दूसरंे घरान  में
कर दिया ब्याह मेरा एक अनजाने गुलिस्तान में
मेरी चाहत भी किसी के दरमियान होती
मेरे सपनोे की भी अपनी पहचान होती
काश ये जिंदगी इतनी आसान होती।
आज मेरी बिटिया भी है मेरी गोंद में
और आज फिर मैं हूं इसी सोच में
क्या रह सकेगी बिटिया ,अपनी पहचान में
बिना किसी बंधन,आजाद इस जहान  में।
काश हर बेटी ना ऐसे कुरबान होती
काश ये जिंदगी इतनी आसान होती।


1 comment:

  1. bahut hi achi soch hai... ek poem k madhyam se apne kitni saralta se ek ladki ki problem ko dikhaya hai... agar sub log is per vichar kare to bahut jald is samasya ka samadhan nikal sakta hai....

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