Sunday 28 August 2011

गरीब का दर्द!


गरीबी जाने ,क्या क्या पाप कराती है,
एक भले इंसान को, पापी बनाती है।
   कौन नही करता ,अपनी औलाद से प्यार ,
   पर ये गरीबी कराती है ,रिश्तों का व्यापर ।
श्यामू भी ना चाहता था करना ये पाप,
पर क्या करें,
गरीबी तो बन कर आती है श्राप ।
   घर चलाने का उसमे ,नही था औदा ,
   इसलिए करना पड़ा, उसे बेटी का सौदा।
महगांई में नही भर पा रहा था ,सभी का पेट,
इसलिए चढ़ानी पड़ी लाली की भेंट।
  बैठकर आंगन में श्यामू,आंसू बहाता रहा,
  लाली की याद में ,खुद को सताता रहा ।
सरकार  और पुलिस ,दोनो ने किया बदहाल ,
और पूछती रही श्यामू से ,कैसा है बेटी का हाल।
  महगांई की मार ने कर दिया था लाचार ,
  लाली के बदले ,पैसा मांग रही थी सरकार ।
इस महगांई ने तो ऐसा मंजर बना ड़ाला ,
जैसे किसी गरीब के सीने में,खंजर चला ड़ाला।
   ना पुलिस ने दिया साथ ,ना सरकार ने बढ़ाया हाथ,
   बस बिखरते रहे बाजार में ,गरीबी बाप के हालात ।
रो -रो के कहते रहे ,श्यामू के आंसू बार बार ,
माफ करना बिटिया ,गरीबी ने किया मुझे लाचार।



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