खुशियां आती है, हलचल मचाती है,
दो पल पास रहकर, दूर चली जाती है।
मैं चाहती हू हर पल उसका साथ,
पर हमेशा मुझे वो कर जाती है उदास।
जब तक रहती है ये मेरे साथ , दे जाती मुझे कुछ नया सा अहसास,
होंठो की पंखुडि़या खुल जाती, और की चमक लौट आती है।
चेहरे की रंगत कुछ अलग ही नजर आती है,
और दिल में उमंगो की बरसात सी हो जाती है।
पर क्यूं मुझ संग ये आॅख मिचैली सी खेल रही है,
दो पल पास रहकर, दूर चली जाती है।
मैं चाहती हू हर पल उसका साथ,
पर हमेशा मुझे वो कर जाती है उदास।
जब तक रहती है ये मेरे साथ , दे जाती मुझे कुछ नया सा अहसास,
होंठो की पंखुडि़या खुल जाती, और की चमक लौट आती है।
चेहरे की रंगत कुछ अलग ही नजर आती है,
और दिल में उमंगो की बरसात सी हो जाती है।
पर क्यूं मुझ संग ये आॅख मिचैली सी खेल रही है,
कुछ पल सामने रहकर जाने कहां छिप रही है।
ढूंढती फिरती हू इन्हे में , हर कदम हर राह पे ,
कुछ पल के लिए मिलती ,एक अनजानी पनाह में।
जाने क्यूं मुझसे ये रूठी है,
अपनी जिद मेंु ऐसे ऐठी है।
बहुत हो गयी तेरी जिद और तेरी दूरी,
आ जा पास ,तू समझ ले मेरी भी मजबूरी ।
अब लौट भी ऐ खुशी बनकर मेंरी मीत।
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