Monday, 26 March 2012

खुशियां



खुशियां आती है, हलचल मचाती है,
दो पल पास रहकर, दूर चली जाती है।
मैं चाहती हू हर पल उसका साथ,
पर हमेशा मुझे वो कर जाती है उदास।
 जब तक रहती है ये मेरे साथ , दे जाती मुझे कुछ नया सा अहसास,
होंठो की पंखुडि़या खुल जाती, और की चमक लौट आती है।
चेहरे की रंगत कुछ अलग ही नजर आती है,
और दिल में उमंगो की बरसात सी हो जाती है।
पर क्यूं मुझ संग ये आॅख मिचैली सी खेल रही है,

कुछ पल सामने रहकर जाने कहां छिप रही है।
ढूंढती फिरती हू इन्हे में , हर कदम हर राह पे ,
कुछ पल के लिए मिलती ,एक अनजानी पनाह में।
जाने क्यूं मुझसे ये रूठी है,
अपनी जिद मेंु ऐसे ऐठी है।
बहुत हो गयी तेरी जिद और तेरी दूरी,
आ जा पास ,तू समझ ले मेरी भी मजबूरी ।
ले मै हारी और हो गई तेरी जीत,
अब लौट भी ऐ खुशी बनकर मेंरी मीत।


Thursday, 8 March 2012

काश ये जिंदगी फूलो सी बन जाती,



काश ये जिंदगी फूलो सी बन जाती,
दूसरों को खुश्बू देकर खुद महक जाती।
अपने लिए ना कोई चाह ,ना कोई अरमान,
             दूसरों के नित होने में ही है, उसका  स्वाभिमान,                     
 
 
काश हम भी एक फूल की तरह जाी पाते।
निज का स्वार्थ तज, दूसरों के हित कर पाते,
काटो के बीच रहकर भी ,मखमल सा बन पाते।
इन फूलों की क्या जिंदगानी होती है,
उनके हर एक जर्रे की उनसे ,बेगानी होती है।
तितलियों के लिए रंग, भौरो के लिए खुश्बू ,
अर्थी हो या भगवान की मूरत, दोनों के नित है एक ही सूरत।

किसी भी बात पर गुमान ना अफसोस उसे ,
ना ही किसी से खुशी और ना किसी से रोष उसे।  
                         
 
                                                   काश हम भी इस फूल की तरह, निष्छल रह पाते
सभी परिस्थितियों में उनसा ,सम रह पातें।